Monday, November 11, 2024

"भारत में बाल अधिकार और उनका संरक्षण" विषय पर व्याख्यान आयोजित


                    पी.एम. श्री विद्यालय कार्यक्रम के अंतर्गत नागरिकता कौशल, संवैधानिक मूल्य, एंव भारत का ज्ञान गतिविधि के तहत नवम्बर माह में आयोजित की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों के क्रम में स्थानीय विद्यालय में आज "कानून के शासन के प्रति सम्मान" विषय के अंतर्गत विद्यार्थियों को "भारत में बाल अधिकार और उनका संरक्षण" विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया । 



                     कार्यक्रम प्रभारी श्री कपिल सक्सेना ने बताया कि कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य श्रीमती प्रतिभा शर्मा ने की वहीं मुख्य अतिथि और वक्ता, राजस्थान हाईकोर्ट के वकील और समाज सेवी श्री मोहम्मद अतीक़ थे ।
 
 


               श्री मोहम्मद अतीक़ ने विद्यार्थियों को बाल अधिकारों और इससे जुड़े कानूनों के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी प्रदान की । उन्होंने बताया कि :- 
                         भारत में बाल अधिकारों की रक्षा संविधान, कानून और अंतरराष्ट्रीय समझौतों के माध्यम से की जाती है। बालकों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण क़ानून और नीतियाँ बनाई गई हैं। इनमें से कुछ प्रमुख बाल अधिकारों और उनसे संबंधित क़ानून निम्नलिखित हैं: 
     1. शिक्षा का अधिकार भारत के संविधान में बच्चों को शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित किया गया है। 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए, जिसे "Right to Education Act (RTE)" के तहत लागू किया गया है। 
     2. श्रम से मुक्ति किसी भी बच्चे से काम कराना, विशेष रूप से श्रमिक के रूप में, अवैध है। भारत में "Child Labour (Prohibition and Regulation) Act, 1986" और "The Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Act, 2015" के तहत बाल श्रम पर प्रतिबंध लगाया गया है। 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी खतरनाक काम में लगाया जाना कानूनन अपराध है। 
     3. स्वास्थ्य और पोषण बालकों को स्वास्थ्य और पोषण का अधिकार प्राप्त है। भारत सरकार की कई योजनाएँ, जैसे "Integrated Child Development Services (ICDS)" और "National Health Mission (NHM)", बच्चों की स्वास्थ्य और विकास के लिए कार्य कर रही हैं। 
     4. सुरक्षा और संरक्षण बच्चों को शारीरिक, मानसिक और यौन शोषण से सुरक्षा प्राप्त है। "The Protection of Children from Sexual Offences (POCSO) Act, 2012" बच्चों के यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण क़ानून है। इसके अलावा, "Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Act, 2015" के तहत बच्चों की देखभाल और संरक्षण का प्रावधान किया गया है। 
     5. मतदाता और नागरिक अधिकार बालकों को 18 वर्ष की आयु के बाद मताधिकार (वोट देने का अधिकार) प्राप्त होता है। इसके अलावा, बच्चों को संविधान के तहत "Right to Life and Liberty" के तहत सुरक्षा और स्वावलंबन का अधिकार भी प्राप्त है। 
     6. बाल विवाह का निषेध भारत में बाल विवाह पर प्रतिबंध है। "Prohibition of Child Marriage Act, 2006" के अनुसार, लड़कियों की विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़कों की 21 वर्ष होनी चाहिए। 
     7. समान अधिकार बच्चों को उनके लिंग, धर्म, जाति, रंग, या सामाजिक स्थिति के आधार पर भेदभाव से बचाने के लिए संविधान में समानता का अधिकार दिया गया है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी बच्चों को समान अवसर और अधिकार मिलें। 
     8. बाल अधिकारों का संरक्षण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत ने 1992 में संयुक्त राष्ट्र की "Convention on the Rights of the Child (CRC)" को स्वीकार किया, जिसमें बालकों के सभी बुनियादी अधिकारों की सुरक्षा की बात की गई है। 
     9. बालकों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय आयोग भारत में "National Commission for Protection of Child Rights (NCPCR)" का गठन बालकों के अधिकारों की रक्षा और संरक्षण के लिए किया गया है। 
     10. संगठनों और योजनाओं के माध्यम से अधिकारों की रक्षा भारत में विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठन बालकों के अधिकारों की रक्षा में काम कर रहे हैं। इन योजनाओं और अभियानों के माध्यम से बच्चों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाता है। इस तरह, भारत में बालकों के अधिकारों का व्यापक संरक्षण किया गया है, ताकि वे एक सुरक्षित, स्वस्थ और समृद्ध जीवन जी सकें। 
                    कार्यक्रम का संचालन श्री मनीष राठौड़ द्वारा किया गया । इस अवसर पर स्थानीय विद्यालय की उप-प्राचार्य श्रीमती क्षिप्रा चौधरी, व्याख्याता श्रीमती सीमा छंगाणी और योगेश दाधीच उपस्थित थे ।




School Desk
11 Nov. 2024

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