विद्यालय सौन्दर्यकरण : बाउंड्री वाल पर चित्रकारी
नूतन वर्ष 2020 के आगमन के साथ ही विद्यालय प्रधानाचार्य के मन में भी एक नूतन विचार पल्लवित हुआ . विद्यालय की सपाट,बोझिल,बेजान और बे-रंग दीवारों को चित्रकारी के माध्यम से आकर्षक और सजीव बनाने का विचार . ये विचार आया शहर की उन रंग बिरंगी, आकर्षक और मोहित कर देने वाली दीवारों को देख कर जिन पर युवा चित्रकारों ने अपनी कल्पनाओं से अत्यंत सुंदर और मनमोहक चित्र उकेरे हैं कि जो देखते ही बनते हैं .
शहरों को मयस्सर ही नहीं क़ुदरती मंज़र दीवार पे ही शम्सो क़मर छाप दे कोई
बस फिर क्या था एक बार तलाश जो शुरू हुई तो वो ख़त्म हुई पॉलीटेक्निक कर रही छात्रा ज़ेबा नाज़ और उनके शौक़िया चित्रकारों पर . इन जोशीले और उर्जावान चितेरों की तक़रीबन 15 दिन की अथक मेहनत के बाद जो मन्ज़र सामने आया वो यक़ीनन दिल को लुभाने वाला, मनमोहक और चित्ताकर्षक था . ये तस्वीरें इतनी आकर्षक हैं कि अब स्थानीय विद्यालय के छात्रों के साथ साथ आगंतुकों के आकर्षण का केंद्र भी बन चुकी हैं . नौजवान यहाँ इन दीवारों के सामने खड़े होकर सेल्फियाँ लेते हैं और दीवारों पर लिखे संदेशों से प्रेरणा प्राप्त करते हैं . यकीनन ये नवाचार छात्रों के मन में विद्यालय के प्रति लगाव, प्रेम और अपनेपन को जन्म देने में कामयाब रहा है .
आईये देखते हैं चित्रों की ज़बानी ये सारी कहानी .
अपनी कला के जौहर दिखाने वाले कलाकारों के नाम
ज़ेबा नाज़, मयंक सोलंकी, मनीष सांखला, अस्फा नईम, चंद्रसेन, जागृति सोनी,कोमल कुंवर, निज़ाम, मोहित भार्गव, प्रिया बोहरा, प्राणिति चौरड़िया, रोहित भाटी, सायमा परवीन, वरुण शर्मा, यज्ञ दवे .
पेंटिंग में हाथ आजमाते हुए स्थानीय विद्यालय के प्रिंसिपल
श्री एम० एस० ज़ई
कलाकारों का उत्साहवर्धन करते हुए स्थानीय विद्यालय के प्रिंसिपल
श्री एम० एस० ज़ई
श्री एम० एस० ज़ई
और दीवारें बोलने लगीं .............................
कल जो इक बदहाल सी दीवार थी
आज हमसे गुफ्तुगू करने लगी
अकमल नईम सिद्दीकी